प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “ड्रीम प्रोजेक्ट” पर चला अफसरशाही का बुलडोजर

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महीनों बीत गए ,,निर्माणाधीन पीएम आवास पर बुलडोजर चलाने वाले अफसर पर नहीं हुई कार्रवाई

सत्ता पक्ष एक दूसरे की टांग खींचने में मस्त,,तो क्षेत्र के पूर्व विधायक ने अन्याय के खिलाफ कसी कमर

बैकुंठपुर कोरिया – देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट । भूमिहीन व आवासहीन गरीबों के लिए पक्के मकान के व्यवस्था की मुहिम । जिसको पलीता लगाता अफसरशाही का ऐसा कारनामा । जब उनके खुद के डबल इंजन की सरकार में देखने को मिले । तो समझा जा सकता है। की गरीबों के लिए देश के प्रधानमंत्री के इस अति महत्वपूर्ण अभियान का मखौल किस कदर उड़ाया जा रहा है । बावजूद इसके प्रदेश सरकार ऐसे अफसरों को लगातार कुर्सी पर सहसम्मान बैठा रखी है । मामला है सोनहत विकासखंड के ग्राम पाराडोल का । जहां पर जुगेश साहू पिता रविशंकर साहू । जो की पूर्णतः भूमिहीन है। और जिसे प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास स्वीकृत हुआ था । जिसे जनपद पंचायत सोनहत के अफसरों ने बनवाने का कार्य शुरू किया था । उक्त हितग्राही जो की पहले से ही भूमिहीन था । इसलिए इसका आवास का निर्माण । दशकों से काबिज वन भूमि पर बनवाया जा रहा था । उसी तरह चकदढ़ ग्राम पंचायत के ही एक मुस्लिम परिवार हितग्राही के निर्माणाधीन आवास के साथ । ग्राम पंचायत ओदारी में जेठू राम और लव कुमार के निर्माणाधीन प्रधानमंत्री आवास जिसका निर्माण लेंटर लेबल पर पहुंचने के बाद । वन विभाग द्वारा इसलिए तोड़ दिया गया। क्यों की निर्माणाधीन आवास वनभूमि में था। जबकि ये सभी हितग्राही दशकों से उक्त वनभूमि में काबिज हैं। और कुछ का तो पहले से पुराना मकान भी था । बावजूद इसके वन विभाग के द्वारा बुलडोजर चला कर तोड़ा गया । बता दें की इन चारों हितग्राहियों के लिए सरकारी पैसे से मकान बनाकर देने की योजना थी सरकार की । बता दें की शासन द्वारा आवास की निर्धारित राशि । वैसे भी ऊंट के मुंह में जीरा के समान ही है। परंतु आवास हितग्राही मिली राशि का सदुपयोग करते हुए। स्वयं के ब्यय से अपने लिए सुंदर आवास बना लेता है। जिससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस योजना को साकार रूप मिलता है। परंतु कोरिया जिले के निठल्ले प्रशानिक अफसरों की मनमानी ऐसे योजनाओं की सफलता पर पलीता लगाने में ही लगी है । क्यों की प्रशासन के द्वारा योजनाओं के सफल क्रियान्वयन हेतु सटीक रूप रेखा तैयार नहीं की जाती। जिस वजह से बिना क्लियर लैंड के । ले आउट दे देना और निर्माण कराना । जानबुझकर की जाने वाली गलतियों में से एक है। जिस वजह से प्रधानमंत्री आवास योजना पर ग्रहण लग रहा है।

कोरिया वन मंडल के डीएफओ से होनी चाहिए ,,आवास के नुकसान की वशूली

जब योजनाएं सरकारी हों तो उसका क्रियान्वयन भी। उसी तरह किया जाना सभी सरकारी अफसरों और अमलो की जिम्मेदारी होती है। लेकिन ऐसा लगता है। की कोरिया जिले में शासन और प्रशासन दोनों एक दूसरे के विपरीत चल रहे हैं। जिसका जीवंत उदाहरण है। कि विगत डेढ़ दो माह पूर्व बैकुंठपुर वन मंडल के डीएफओ चंद्रशेखर शंकर सिंह परदेशी के आदेश पर बिना किसी पूर्व सूचना । चूंकि यह आवास पंचायत विभाग के द्वारा निर्माण कराया जा रहा था। जिस लिहाज से डीएफओ की जिम्मेदारी बनती थी। की ऐसी कोई भी कार्रवाई करने से पहले जिला प्रशासन से पत्राचार किया जाना था। लेकिन डीएफओ परदेशी ने इस संबंध में तोड़फोड़ की सीधी कार्रवाई करते हुए । अपनी मनमानी का परिचय दिया है। और शासकीय कार्यों में दखल देते हुए सरकारी पैसे की बर्बादी की । जबकि हर नियम और कानून व्यवस्था । लोकहित के लिए समाज में शांति और सामंजस्य बनाने की बात को पहली प्राथमिकता देता है। बावजूद इसके डीएफओ परदेशी ने इन सभी पहलुओं को सिरे से खारिज करते हुए । अपनी हठधर्मिता दिखाई और निर्माणाधीन आवासों को धराशाई करा दिया । और इससे भी ज्यादा ताज्जुब की बात तो ये रही । कि डीएफओ की इस कार्रवाई पर जिला प्रशासन अब तक मूकदर्शक बना हुआ है।

डबल इंजन की सरकार में,,,जनता के न्याय की लड़ाई लड़ रहे कांग्रेस के पूर्व विधायक

हम नहीं कहते बल्कि यह स्पष्ट देखा जा सकता है। कि जहां केंद्र सहित प्रदेश में देश की सबसे बड़ी पार्टी की सरकार है । और जिस पार्टी का राजनीतिक उद्देश्य ही जनहित,समाजहित और न्यायहित की रक्षा करना कहा जाता है। कोरिया जिले में ऐसे उद्देश्य का हर रोज उपहास उड़ाया जा रहा है । जनहित के मुद्दों को छोड़ । भाजपाई आपसी ताने बाने और एक दूसरे पर टीका टिप्पणी पर उतारू रहते हैं । सोनहत क्षेत्र में पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट गरीबों के निर्माणाधीन आवास पर बुलडोजर चला दिया गया । और सत्ता दल के नुमाइंदों को पीएम मोदी के विकसित भारत संकल्प अभियान जिसका हर कोई गुणगान करता है।और प्रधानमंत्री आवास इसी अभियान का एक अंग है। बावजूद इसके ऐसे कृत्यों पर प्रशासन और शासन के बीच उपजी विसंगतियों पर चुप्पी साधे बैठे हैं। और जनता के न्याय की लड़ाई क्षेत्र के पूर्व कांग्रेस विधायक गुलाब कमरो को लड़नी पड़ रही है।

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