एमसीबी – मनेंद्रगढ़ वन मंडल और यहां के अफसर अंधेरगर्दी की पराकाष्ठा को भी लांघ चुके हैं । कई तो वर्षों से जमे हैं। तो कई अफसरों की बपौती हो गया है। मनेंद्रगढ़ वन मंडल का अफसरी ओहदा । कुछ गृह जिले के होते हुए भी इसी वन मंडल में पोस्टिंग के शौकीन हैं । मतलब कहा जा सकता है की पूरे छत्तीसगढ़ राज्य में अगर सिस्टम के सारे रेड सिग्नल दनादन टूटते रहे हैं। तो वो मनेंद्रगढ़ वन मंडल के करतूत बाज अफसरों के द्वारा ही । बावजूद इसके आश्चर्य की बात है की इन अफसरों का साथ भी सिस्टम बराबर देता रहा है। बात करें मनेंद्रगढ़ वन मंडल में पदस्थ डीएफओ मनीष कश्यप की। जिनकी अब तक की सभी जगह की पोस्टिंग नए नए विवादों से घिरी रही हैं। और डीएफओ जैसे गरिमामय पद को पागलपन भरी करतूत के कारण सरे आम माफी मांगना पड़ा है। कुछ ऐसा ही वाक्या बीते दिनों मनेंद्रगढ़ वन मंडल में घटित हुआ। बात दअरसल ये थी की मनेंद्रगढ़ जो एमसीबी जिला मुख्यालय है । जिस शहर का चौतरफा सीमा वनों से सटा है। जिस कारण इस शहर के रहवासी क्षेत्रों में जंगली जानवरों का विचरण लगातार बना रहता है। जिससे लोगों के जनहानि का खतरा भी बना रहता है । साथ ही मनेंद्रगढ़ के लोगों की यह समस्या उस वक्त और बेहद चिंताजनक हो जाती है। जब जिम्मेदार विभाग और अफसर इन समस्याओं के प्रति गैरजिम्मेदार हो जाएं । ऐसे ही समस्या को लेकर मनेंद्रगढ़ नगर पालिका के जनप्रतिनिधिगण। डीएफओ मनीष कश्यप के ऑफिस पहुंचे हुए थे। जिसमें नगर पालिका अध्यक्ष और उपाध्यक्ष शामिल थे। जिन्होंने ने डीएफओ से मिलकर अवगत कराया । की शहर में जंगली भालुओं के विचरण के दौरान जब भी हमने या अन्य शहरवासियो ने आपसे फोन में संपर्क कर समस्या बताना चाहा तो आपके द्वारा कॉल रिसीव नहीं किया जाता। जनप्रतिनिधियों के तर्क और टिप्पणियों पर शायद डीएफओ मनीष कश्यप भड़क गए । और खुद की बाज नहीं आने वाली वाहियात हरकत और अभद्रता की भड़ास इन फरियादियों पर ही निकाल दी । जिसे मनेंद्रगढ़ नगर पालिका के अध्यक्ष,उपाध्यक्ष और पार्षदों को झेलनी पड़ी। सूत्रों से पता चला की डीएफओ ने नपा के जनप्रतिनिधियों को चेंबर से बाहर निकालने को कह दिया । जिस पर नगर पालिका के जनप्रतिनिधियों का पारा हाई हो गया । और सभी ने हल्ला बोल दिया और वन मंडल कार्यालय के सामने धरने पर बैठ गए। जिस धरने ने कुछ ही समय में उग्र रूप ले लिया । जिसके बाद क्षेत्र के भाजपा, कांग्रेस सहित सभी दल के नेता और जनप्रतिनिधि वन मंडल कार्यालय पहुंच गए । किसी ने इस्तिफा देने की बात कही । तो किसी ने डीएफओ के माफी मांगने को पुनरावृत्ति नहीं होना बताया । कांग्रेसियों ने स्वास्थ मंत्री पर डीएफओ के संरक्षण का आरोप भी लगाया । जिन सबके बीच भरतपुर सोनहत विधायक रेणुका सिंह ने यह भी कहा की ये अफसर आदतन विवादित है । जिसके बाद डीएफओ को हर बार की तरह । फिर से लोगों से बदतमीजी की माफी मांगनी पड़ी । पर क्या इन सबके बाद भी डीएफओ मनीष कश्यप को। जो छोटी सी बात पर अभद्रता की चरम सीमा लांघ जाते हैं। ऑफिस स्टाफ से गाली गलौज और आमजन से अभद्रता के लिए इन्हें पनिशमेंट मिलेगा या फिर इनकी बदतमीजियां इसी तरह जारी रहेगी।
सनकी अफसर की बदतमीजी पर मचा बवाल क्या हो गया शांत ? या फिर से निपटाए जायेंगे,, दिमागी रूप से बीमार डीएफओ मनीष कश्यप












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