शशि थरूर ने इमरजेंसी पर उठाए सवाल

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कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने 1975 में लगी इमरजेंसी पर सवाल उठाए हैं। हाल ही में एक लेख में उन्होंने इसे सिर्फ भारतीय इतिहास के ‘काले अध्याय’ के रूप में याद नहीं करके, इससे सबक लेने की बात कही।

मलयालम भाषा के अखबार ‘दीपिका’ में प्रकाशित अपने लेख में शशि थरूर ने कहा कि अनुशासन और व्यवस्था के लिए उठाए गए कदम कई बार ऐसी क्रूरता में बदल जाते हैं, जिन्हें किसी भी तरह उचित नहीं ठहराया जा सकता।

थरूर ने अपने आर्टिकल में लोकतंत्र को हल्के में नहीं लेने की बात पर जोर दिया। उन्होंने इसे एक ‘बहुमूल्य विरासत’ बताया, जिसे लगातार संरक्षित करना आवश्यक है। उन्होंने चेतावनी दी कि सत्ता को केंद्रित करने, असहमति को दबाने और संविधान को दरकिनार करने का असंतोष कई रूपों में फिर सामने आ सकता है।

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