बेहद निष्क्रिय और लापरवाह डीएफओ की हठधर्मिता से मजदूर परेशान,,लंबित मजदूरी भुगतान के लिए करेंगे कोरिया वन मंडल का घेराव

Spread the love

दुर्ग वन मंडल में भी सुर्खियों में थे,, डीएफओ एस चंद्रशेखर सिंह परदेशी

कोरिया बैकुंठपुर – एक तो सरकार का ई कुबेर वाला सिस्टम। ऊपर से मजदूरों की मजदूरी पर लापरवाही । ऐसा लगता है की अब मजदूरों को अपने बच्चों और परिवार को पालने के लिए भी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है । ऐसे में अगर पदस्थ अफसर भी इन दिहाड़ियों पर अंग्रेजी शासन की तर्ज पर जुर्म करने लगे तो सोचिए स्थिति क्या होगी । अवगत करा दें की छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनने के बाद।जिस तरह से वन विभाग में बारहों महीने मजदूरों को रोजगार मिलने वाली व्यवस्था पर चोंट पहुंची है । और ई कुबेर से मजदूरी भुगतान प्रक्रिया लागू हुई है। तबसे मजदूरों को रोजगार में हर रोज दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है । साथ ही लेट लतीफी मजदूरी भुगतान के कारण वन विभाग में कार्य करने से गुरेज कर रहे हैं । बता दें की जिस तरह की स्थिति कोरिया वन मंडल में व्याप्त है। और जिसके एक मात्र वजह यहां पर पदस्थ डीएफओ हैं । जिन्होंने अपनी हठधार्मिता और बेतुकी जिद्द की वजह से लगातार मजदूरों की मजदूरी पर ऐसा ढीठ रवैया अपनाए हुए हैं। की मजदूरों को अपनी मजदूरी के लिए महीनों महीनों से भटकना पड़ रहा है । कोरिया वन मंडल के इतिहास में मजदूरी भुगतान के लिए कभी धरना प्रदर्शन नहीं हुआ। परंतु कोरिया वन मंडल के डीएफओ शंकर चंद्रशेखर सिंह परदेशी के हिटलर साही रवैए की वजह से दो बार धरना और विरोध प्रदर्शन किया जा चुका है । और जिसकी फिर से पुनरावृत्ति की आशंका जताई जा रही है। और जिस प्रदर्शन का रूप काफी उग्र और डी एफ ओ के कारनामों को प्रदेश स्तर तक पहुंचाने के तर्ज पर हो सकता है।

क्या दिहाड़ियों के लिए अकाल साबित हो रहा,,अमृतकाल,,?

बता दें की कोरिया वन मंडल में बड़े पैमाने पर लंबित मजदूरी भुगतान पर प्रभावित मजदूरों ने। छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा लागू ई कुबेर भुगतान प्रणाली को विसंगति पूर्ण बताते हुए । अपना गुस्सा जाहिर किया और कहा की। महतारी वंदन के तहत एक हजार रुपए की आर्थिक मदद हमे नहीं चाहिए । बल्कि उसके बजाय सरकार हम मजदूरों को स्थाई रोजगार उपलब्ध कराए । ताकि हम अपने परिवार का पालन पोषण और बच्चों को शिक्षा दे सकें । मजदूरों ने यह भी कहा की। मोदी की गारंटी और अमृत काल का स्वरूप अगर ऐसा है । तो विकसित भारत का सपना । क्या गरीबों की लाचारी और भुखमरी पर साकार होगा। अवगत करा दें की मजदूरों का गुस्सा सिर्फ ई कुबेर को लेकर नहीं है । बल्कि कोरिया वन मंडल में पदस्थ डी एफओ पर भी है। जो मजदूरों की मजदूरी में जानबूझकर अड़चन डालते आ रहे है। और जिसकी वजह से कोरिया जिले के मजदूरों के बीच लगातार आक्रोश बना हुआ है । जानकारी के मुताबिक इससे पहले डीएफओ एस चंद्रशेखर परदेशी दुर्ग वन मंडल में पदस्थ थे। और वहां पर भी इनकी ऐसी मनमानी चरम पर थी । और जिसकी वजह से आए दिन मजदूरों का बड़ा बड़ा खेमा इनके खिलाफ लामबंद रहता था।

जंगल के बांस बाज़ार में हो रहे नीलाम,, डीएफओ कुंभकर्णी नींद में मस्त,,

जंगल की संपत्ति के जिम्मेदार जब हो जाएं लापरवाह । तो सोचिए जंगलों के बर्बादी का नजारा कैसा होगा। जी हां कोरिया जिले का बैकुंठपुर वन मंडल। इन दिनों ऐसी ही मानव निर्मित भयावह आपदा का शिकार होता जा रहा है । जिसके परिणाम स्वरूप । कई दशकों से सरकार द्वारा संरक्षित प्राकृतिक वन और बांस के प्लांटेशन खुलेआम बाजारों में नीलाम किए जा रहे हैं । और जिसकी खबरें लगातार बैकुंठपुर वन मंडल के मुखिया अफसर डीएफओ तक पहुंच रही है। परंतु इसके बाद भी डीएफओ चंद्रशेखर सिंह परदेशी के कानों में जू तक नहीं रेंग रहा है। की जंगलों के प्रति अपनी भूमिका सशक्त करें । जिसकी वजह से लगातार दो महीनों से जंगली बांस के पीके (करील) का व्यापार कोरिया जिले के बाजारों और शहरों में क्विंटलो बोरियों में भर भरकर हर रोज बेचे जा रहे हैं। जिसकी वजह से दशकों पुराने संरक्षित बांस नर्सरी अपनी अंत की कगार पर पहुंच चुके हैं। जिनकी सुध अब राजधानी में बैठे वन विभाग के बड़े अफसरों को लेने की जरूरत है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *