बाघ के जन्म और मौत का पैगाम विभाग तक पहुंचाते हैं आम ग्रामीण,,जंगलों से नदारद रहता है विभागीय अमला
कोरिया – तैमोर पिंगला गुरुघासीदास टाईगर रिजर्व अंतर्गत व कोरिया वन मंडल के सोनहत सामान्य रेंज की सीमा पर भलुआर के जंगल में बाघिन ने दो बाघ शावकों को जन्म दिया है। जिसको लेकर तमाम वन्य प्राणी प्रेमियों और जिले वासियों में काफी खुशी का माहौल देखा जा रहा है। परन्तु इसके साथ ही लोगों को यह डर भी सता रहा है की इस पार्क क्षेत्र में टाइगर की सुरक्षा पर बड़ी बड़ी लापरवाही बरती गई है । जिसके बाद इन दोनों नवजात शावकों की बेहतर निगरानी कैसे हो पाएगी । अवगत करा दें की गुरुघासीदास टाईगर रिजर्व में हालिया व बीते समय में बाघों के तस्करी के मामले जिसमें तस्करों को पकड़ा भी गया । लेकिन विभाग अब तक मुख्य तस्कर तक नहीं पहुंच सका । जिससे विभाग की बड़ी लापरवाही सामने देखी गई है। जिसके बाद जंगलों में मुख्य तस्करों की सक्रियता से इंकार नहीं किया जा सकता । इसके साथ बाघ की जहरखुरानी से हत्या जो विभागीय कार्यप्रणाली की पूरी तरह कलई खोल देता है। बाघ के ज़हरखुरानी से हत्या बार बार की गलतियों के बाद भी सीख ना लेने वाली घटना को दर्शाता है। गुरुघासीदास टाईगर रिजर्व में पदस्थ रेंजर व वन कर्मचारियों की लापरवाही यहीं नहीं खत्म हुई। फिर एक बाघ की मौत हुई और इस बाघ के मृत होने की घटना को भी आम ग्रामीणों द्वारा सूचित किया गया। जबकि मृत बाघ की मौत 4,,5 दिन पहले हो गई थी । बावजूद इसके गुरुघासीदास टाईगर रिजर्व के निठल्ले निकम्मे जिम्मेदार बाघ की लोकेशन या उसका पता नहीं लगा सके । जिससे ये साबित होता है की गुरुघासीदास टाईगर रिजर्व के तमाम अफसर और जमीनी अमला वन्य प्राणियों की देखभाल व सुरक्षा को छोड़कर निर्माण कार्य और ठेकेदारी में ही मस्त हैं और बड़े बड़े भ्रष्टाचार कर सिर्फ और सिर्फ काली कमाई अर्जित करने में लीन हैं। ऐसे में इन सभी पहलुओं के मद्देनजर कह सकते हैं की बाघों की वधशाला तैमोर पिंगला गुरुघासीदास टाईगर रिजर्व में दो नन्हे मेहमानों की सुरक्षा और देखभाल कैसी होगी। इस पर क्षेत्र में वयस्क बाघों की मौजूदगी और फिर इन दोनों नवजात शावकों का जन्म। शावकों की निगरानी के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। बाघ और शावकों के बीच हिंसक झड़प का खतरा भी है। नन्हे शावकों की हर गतिविधियों की लगातार निगरानी जो एक अभ्यस्त या फिर विशेष दस्ता करता है। जिसकी कोई व्यवस्था इस टाइगर रिजर्व में नहीं है। जिस तरह गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्द्यान को टाईगर रिजर्व घोषित किया गया उस तर्ज पर यहां प्रबंधन की व्यवस्था नहीं की गई । अभी भी यहां पर नेताओं के चप्पल चाटने वाले घटिया अफसरों की भ्रष्टाचारी जमात ही तैनात है। जो या तो मुन्ना भाई एम बी बी एस हैं या फिर लाल बुझक्कड़















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